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अहीरवाल के यादवों को "रावसाहब" कैसे कहा जाने लगा

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# अहीरवाल  के  # यादवों  को " # रावसाहब " कैसे कहा जाने लगा इस की कहानी आज सब के सामने पेश है -- मै वीर वसुंधरा #अहीरवाल हूँ ! १७३९ में ईरानी लूटेरा और शासक # नादिरशाह  हिंदुस्तान पर चढ़ आया तो #अहीरवाल की तलवारे फिर जोश में चमक उठी ! दिल्ली की फौजों के साथ रेवाड़ी के पांच हज़ार मर्द कौम अहीर अपने शेर सरदार  # राव_बालकिशन  के साथ करनाल के मोर्चे पर डट गयी !ईरानी और हिन्दुस्तानी सेनाये आमने-सामने अपनी- अपनी तलवारों के जोर को तोलने लगी , मैदाने जंग में यलगार हुई और कायर मुगलिया फौज दिल्ली की मैदान से भाग कड़ी हुई ,मुग़ल बादशाह और उसके सिपहसालारो के हाथ से हथियार छूट गए! पर सुनो नस्ल-ए -हिन्द ये कायरता का इलज़ाम मेरे वीर पुत्रों पर न लगा क्योंकि मर्द  # अहीर  विजय या वीरगति के लिए वचनबद्ध थे ,मेरा परम वीर सपूत,तलवार और जबान का धनी शेर बच्चा शमशेर बहादुर #राव_बालकिशन अपने 5000 #अहीर जानिसारों के साथ करनाल के रण-खेतो में अड़ के खड़ा हुआ था ! नादिरशाह को तब तक फ़तेह नसीब नहीं हो सकती थी जब तक अहीर के बीज ,मेरे जंगजू बेटे शमशीर लिए पहाड़ बन कर खड़े थे ! कटे हुए सरो से ,मरे हुए ऊंट