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Showing posts from June, 2023

पहचान -वीर भूमि अहीरवाल

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पहचान : 1. देश में एक छोटा सा क्षेत्र : वीर भूमि अहीरवाल –देश की राजधानी दिल्ली से नज़दीक ,इसलिए जो भी आक्रमण देश पर हुए, वो दिल्ली पर काबिज़ होने पर हुए ,इसलिए अहीरवाल को सदा हरावल में लड़ना पड़ा 2. एक छोटी सी आबादी : क्योंकि बार युद्धों से जनहानि हुई, क्योंकि सिर्फ विदेशी ही नहीं बल्कि देशी ताकतों से भी लड़ना पड़ा i लेकिन फिर भी स्वाभिमानी नायाब पहचान बरक़रार 3. अपने नाम से पहचान : वीर भूमि अहीरवाल , नर्सरी ऑफ़ सोलजर्स --सैनिकों की खान -देश का छोटा इजराएल i भौगौलिक रूप से कई राज्यों में बटा हुआ –दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान 4. अपनी भाषा : अहीरवाटी भाषा 5. अपनी वेशभूषा : महिला- तीअल, पीलिया आदि i महिला पौशाक पहनने का अनूठा अंदाज़ जिससे पहनने के तरीके से ही गाँव की बेटी और बहु में फर्क नज़र आता है i पुरुष-साफा, धोती जो कि एक नायब तरीके से बाँधी जाती है i 6. अनूठा सैन्य-इतिहास व् परम्परा : नर्सरी ऑफ़ सोलजर्स --सैनिकों की खान -देश का छोटा इजराएल i असंख्य वीरता पदक, घर-घर में फौज़ी, हर गाँव में अमर बलिदानी सैनिकों की प्रतिमाएं, हर गाँव में युद्ध-वीरांगनायें , तकरीबन हर गाँव में नेताजी की आज़

अहीरवाल में नया अखाड़ा

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आधुनिक कुश्ती का एकमात्र केंद्रअपने इलाके का फौजी अखाड़ा निम्नलिखित सुविधाएं प्रदान करता है  1_ एन आई एस कोच 2_ हॉस्टल सुविधा 3 _हरे भरे खेतों के बीच मुख्य सड़क से दूर एकांत में 4_ समस्त अखाड़ा परिसर सीसीटीवी कैमरे की जद में 5_ 100 * 55 फीट का कुश्ती हाल 6_ लड़के व लड़कियों के लिए अलग-अलग चेंजिंग रूम व।  7 _7 वॉशरूम कुश्ती हाल से अटैच हैं 8 _पीने का पानी फिल्टर के साथ वाटर कूलर की सुविधा 9 _24 घंटे बिजली की सुविधा सिटी लाइन का कनेक्शन  10_अकैडमी में हरा भरा पार्क 11_अच्छे खाने की सुविधा  नोट =हमारा लक्ष्य अहीरवाल क्षेत्र को खेलों में आगे बढ़ाने का है आप आए एक बार विजिट करें और देखें खेल से चरित्र निर्माण है RAO DHEERAJ NUNIWAL #RDY #nuniwal #raozofindia #raoz_of_india  

जामनपार के नूनीवाल

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  अपने पुरखे बताते थे की जमनापार के नुणीवालों का निकास, डुंडाहेडा (गुड़गांव) से हैं ।  तीन भाइयों ने जो तीन ठीकाने वहाँ आबाद करे वो - आपका मोहम्मदपुर धूमी और बहरामपुर (मेरठ ) एवं लाडनपुर (अमरोहा) में हैं.. इसमे एक मजेदार किस्सा बताते हैं की लाडन सिंह सबसे छोटे भाई थे और तुनक मिजाज थे । जब डुंडाहेडा से तीन गाडी चलीं तो एक जहाँ पर  आज का धूमि है वहाँ रुकी, दूसरी आगे जहाँ बहराम पुर है वहाँ रुकी और तीसरी जो सबसे बाद में धूमि के पास पहुँची तो बड़ी भाभी ने कहा देवर गाडी थोडा आगे को रोक लियो.  तो तुनकमिजाज दादा लाडन सिंह फिर गंगा पार पहुँच कर ही रुके .. RAO DHEERAJ NUNIWAL #RDY 

रेजिमेंट स हक़ म्हारो

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  ** रेजिमेंट स हक म्हारो ** कहते हैं ना की एक ही झूठ को सौ बार दोहराओ तो वो सच लगने लगता है. मुझे लगता है की हमारी थल सेना और फौजी सिस्टम को चला रहे लोग इसी विश्वास के साथ पिछले कई दशकों से यह सफेद झूठ बोले जा रहे हैं - "आजादी के बाद जाति, क्षेत्र आधार पर कोई रेजिमेंट नही बनी " .  हालांकि झूठ की तो खैर कोई सीमा नही होती , लेकिन जिस हिसाब से देश के अलग अलग इंस्टीट्यूशन के सामने आम जनता को गुमराह करने के लिए ये उपरोक्त गलत तथ्य कहे जाते हैं, पढ़कर सुनकर गुस्सा भी आता है और दुख भी होता है.  Rajnath Singh ji, माना की इस झूठ से भ्रमित होने वाले आप पहले रक्षा मंत्री नही हैं , लेकिन आपके पास एक मौका है की सत्य का साथ देकर आप इस गलत प्रोपोगैंडा से भ्रमित होने वाले आखिरी रक्षा मंत्री जरूर हो सकते हैं. वैसे तो सत्यं कीम् प्रमाणम्, लेकिन फिर भी आपको और फौज (जो सब कुछ जानते हुए भी नादान बन रही है) को यह बता दूँ की आजादी के बाद ही सिर्फ इन्फैण्टरी मे यह निम्नलिखित Scouts एवं Regiments प्लान कर खड़ी की गयी हैं - a.Ladakh Scouts, raised from 1948-63 b.J&K LI, raised from 1948-1972/76 c