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Rao mitrasen Ahir राव मित्रसेन अहीर और माढण का युध्द Rao'z of india RDY अहीरवाल का इतिहास मित्रसेन की तरवार से

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राव मित्रसेन अहीर  राव मित्रसेन i  # अहीरवाल  की कोई भी दास्तान , इस शूरमा के बगैर अधूरी है - बहरोड़ ठिकाणे के सान्तोरिया गोत्र के यदुवंशी अहीर सरदार और रेवाड़ी रियासत के वजीर-ए -आज़म राव तुलसीराम सिंह यादव का शेर राव मित्रसेन जीवन भर लड़ता रहा और फतेह्नसीब ऐसा की जंग में कभी शिकस्त नहीं देखी i आइये, पहले मानढण (Maandhan ) की रण की गाथा सुनते हैं - सन १८१४ ई. ,नबाब दौलतखान कायमखानी झुंझुनू वाला , राजा सार्दुल सिंह शेखावत से लड़ाई में हार कर अपनी जान बचाने के लिए फर्रुखनगर के नबाब के पास शरण लेने के लिए आया I शेखावत सरदार ने नबाब फर्रुखनगर को कहला भेजा कि अगर हमारे दुश्मन को पनाह दोगे तो हम तुम्हारे पर हमला कर देंगे i नबाब फर्रुखनगर ने डर के मारे दौलतखान कायमखानी को कहा हम अब आप को शरण नहीं दे सकते , आप को शरण देने की ताकत तो सिर्फ रेवाड़ी के यदुवंशी अहीर रजवाड़ों के पास है i अब नबाब दौलतखान रेवाड़ी नरेश के पास शरण में आया तो यदुवंसी नरेश ने अपना शरणागत की रक्षा के धर्म की पालना करते हुए मौजा झोलरी और पांच गाँव इलाका नाहड़ के नबाब को गुज़ारा - भत्ता के लिए दे दिए i जब इस

Victoria Cross Umrao Singh Yadav

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 बात है सन 1983 की ,दुनिया के तोपखाने का इकलौता " विक्टोरिया क्रॉस " कैप्टेन राव उमराव सिंह जी वक्त के थपेड़ों से जूझ रहे थे,लेकिन स्वाभिमान जिंदा था । मुफलिसी को तोड़ने के लिए एक सौदागर ने उनको कहा कि अपना बहादुरी का पदक "विक्टोरिया क्रॉस" बेच दीजिये , बदले में 32 हजार ब्रिटिश पौण्ड की रकम ले लीजिये ...यानी एक बहुत बड़ी रकम (आज के करीब 32 लाख रुपये के बराबर )। मर्द अहीर ने जवाब दिया ..." मुफलिसी से तो लड़ लेंगे ,लेकिन बेगैरत बनना मंज़ूर नहीं । ये पदक उन सब वीर अहीरों की इज्ज़त और बहादुरी का चिन्ह है जो उस दिन कालादान घाटी के मोर्चे पर जूझे थे । मैं अपने साथियों की इज्ज़त पर दाग नहीं लगाऊंगा " । वीर भूमि अहीरवाल के पलड़ा ठीकाने का शेर कप्तान राव उमराव सिंह सुपुत्र राव मोहर सिंह जी ने कभी भी मान-सम्मान का सौदा नहीं किया । अपनी मृत्यु पर भी 25 अहीर बच्चों को सेना में भर्ती करवा गया और दुनिया में कौम का नाम सदा के लिए अज़र-अमर कर गये । शत-शत नमन कौम के शूरमा को ।  . . #victoriacross #umraosingh #ahirwal #ahir #haryana #haryanvi #yadav #yaduvanshi #raosahab #r

Rao Balkisan -राव बालकिशन |जिसने रोक दिया था नादिरशाह को करनाल के युद्ध में 1739

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  मैं हूँ वीर भूमि, वीर वसुंधरा - अहिरवाल, आज मै अपने अति शूरवीर और परम बलशाली पुत्र राव बाल कृष्ण (बालकिशन) की दिलावरी का ब्यान करती हूँ - राव बाल किशन सुपुत्र राव नन्द राम सिंह जी रेवाड़ी के तख़्त पर आसीन हुए और   उन्होंने निहत्थे के शेर को जब मारा तो "शेर बच्चा शमशेर बहादुर " का खिताब   पाया ! उनका विवाह ठीकाना नसीबपुर के अहीर सरदार रामचंद्र जी नूनीवाल की पुत्री से   हुआ ! १७३९ में ईरानी लूटेरा और शासक नादिरशाह हिंदुस्तान पर चढ़   आया तो अहीरवाल की तलवारे फिर जोश में चमक उठी ! दिल्ली की फौजों के साथ रेवाड़ी के पांच हज़ार मर्द कौम अहीर अपने शेर सरदार राव बालकिशन के साथ करनाल के मोर्चे पर डट गयी !  ईरानी और हिन्दुस्तानी सेनाये आमने-सामने अपनी-अपनी तलवारों के जोर को तोलने लगी  ,  मैदाने जंग में यलगार हुई और कायर   मुगलिया फौज दिल्ली की मैदान से भाग कड़ी हुई  , मुग़ल बादशाह और उसके   सिपहसालारो के हाथ से हथियार छूट गए!  पर सुनो नस्ल-ए -हिन्द ये कायरता का   इलज़ाम मेरे वीर पुत्रों पर न लगा क्योंकि मर्द अहीर विजय या वीरगति के लिए   वचनबद्ध थे  , मेरा परम वीर सपूत , तलवार और जबान का धनी

Kargil Diwas: Remembring Yogender Singh Yadav Who Alone killed 17 Pak Soldiers

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कारगिल दिवस: योगेन्द्र सिंह यादव को याद, जिन्होंने अकेले ही 17 पाक सैनिकों को मार गिराया था  भारतीय सेना के जवान का साहस और वीरता ऐसी थी कि बाद में इसे बॉलीवुड फिल्म 'एलओसी: कारगिल' में दिखाया गया।    कारगिल शहीद योगेन्द्र यादव के परिजन उनकी तस्वीरें दिखाते हुए।      अकेले 17 पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराने वाले सैनिक मेरठ के ग्रेनेडियर योगेन्द्र यादव 1999 के ऐतिहासिक युद्ध में कारगिल में शहीद हो गए थे। भारतीय सेना के इस सैनिक का साहस और वीरता ऐसी थी कि बाद में उन्हें बॉलीवुड फिल्म 'एलओसी: कारगिल' में दिखाया गया।  2003 की फिल्म में यादव का किरदार आशुतोष राणा ने निभाया था।  “मैं ठीक हूं, कारगिल में लड़ाई छिड़ गई है।  मुझे पहाड़ों पर जाना है.  हम वहां के लिए निकल पड़े हैं.  हिम्मत मत हारो.  इसमें डरने की कोई बात नहीं है।  मेरे साथ पूरी यूनिट है.  मैं दुश्मनों को मारकर वापस आऊंगा,'' ये शहीद ग्रेनेडियर योगेन्द्र सिंह यादव के आखिरी शब्द थे, जो उन्होंने कारगिल रवाना होने से कुछ देर पहले अपने परिवार को लिखे पत्र में लिखे थे। पत्र घर पहुंचने के कुछ दिन बाद यादव की शहाद

Sohna Hill Fort -सोहना का किल्ला

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हरियाणा में अहीरों ने पचासों किले बनवाए थे।  जिनमें एक है सोहना किला राव रामबख्श रईस धारुहेड़ा ने सोहना की पहाड़ी पर बनवाया था।  राव राजा तेज सिंह बहादुर रईस रेवाड़ी के ज़माने में यह किला बनवाया गया था  जब राव रामबख्श जी को धारूहेड़ा जागीर में मिला था। Rao Dheeraj nuniwal #heritage #haryana #ahir #nuniwal #raosahab #ahirwal #ahirwati #ahir #अहीर #अहीरवाल  Rao'z of india

अहीरवाल के नूनीवाल-- Nuniwals of Ahirwal

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नुणी ठीकाने का इतिहास बहुत ही गौरवशाली और प्राचीन है ।  सन 1585 में अकबर की सेना आमेर के राजा मान सिंह के नेतृत्व में काबुल पर हमला करने गयी थी, इस सेना में लगभग आठ - दस हजार अहीर लड़ाके भी थे| राव  रणमल नुणीवाल को इस अहीर फ़ौज का जनरल बनाया गया था| राव रणमल और उनके अहीर वीरों कि काबुल के युद्ध में अहम् भूमिका को देखते हुए, अकबर ने काबुल फ़तेह के बाद खुश होकर उनको बावन महल की चौधर "नारनौल की बावनी" दी | वापस लौट कर राव रणमल ने चौधर को खुशनसीबी के तौर पर मानते हुए अपने नए ठिकाने का नाम 'नसीबपुर' रखा| अपनी मदद के लिए उन्होंने मान्दी और पटीकरा के सरदारों को अपना नायब नियुक्त किया| ढोसी, जो कि अति प्राचीन तीर्थ, पहाड़ी है उस पर एक किला राजा नूनकरण ने बनाया था जो किसी आक्रमण में नष्ट हो गया, दूसरा गंगा सिंह नुणीवाल ने बनवाया जिसके अवशेष आज भी हैं| राव गोपालदेव जी की 3 शादियाँ हुई थी उनकी दो रानियाँ उदयरामसर (बीकानर) से थी तथा एक रानी नसीबपुर से चौ० रामचन्द्र जी के भाई की लडकी थी |  नसीबपुर में युद्ध लडने का मुख्य कारण भी ये ही था की जब गोकलगढ का किला अधिक पुराना होने के कारण य

पहचान -वीर भूमि अहीरवाल

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पहचान : 1. देश में एक छोटा सा क्षेत्र : वीर भूमि अहीरवाल –देश की राजधानी दिल्ली से नज़दीक ,इसलिए जो भी आक्रमण देश पर हुए, वो दिल्ली पर काबिज़ होने पर हुए ,इसलिए अहीरवाल को सदा हरावल में लड़ना पड़ा 2. एक छोटी सी आबादी : क्योंकि बार युद्धों से जनहानि हुई, क्योंकि सिर्फ विदेशी ही नहीं बल्कि देशी ताकतों से भी लड़ना पड़ा i लेकिन फिर भी स्वाभिमानी नायाब पहचान बरक़रार 3. अपने नाम से पहचान : वीर भूमि अहीरवाल , नर्सरी ऑफ़ सोलजर्स --सैनिकों की खान -देश का छोटा इजराएल i भौगौलिक रूप से कई राज्यों में बटा हुआ –दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान 4. अपनी भाषा : अहीरवाटी भाषा 5. अपनी वेशभूषा : महिला- तीअल, पीलिया आदि i महिला पौशाक पहनने का अनूठा अंदाज़ जिससे पहनने के तरीके से ही गाँव की बेटी और बहु में फर्क नज़र आता है i पुरुष-साफा, धोती जो कि एक नायब तरीके से बाँधी जाती है i 6. अनूठा सैन्य-इतिहास व् परम्परा : नर्सरी ऑफ़ सोलजर्स --सैनिकों की खान -देश का छोटा इजराएल i असंख्य वीरता पदक, घर-घर में फौज़ी, हर गाँव में अमर बलिदानी सैनिकों की प्रतिमाएं, हर गाँव में युद्ध-वीरांगनायें , तकरीबन हर गाँव में नेताजी की आज़

अहीरवाल में नया अखाड़ा

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आधुनिक कुश्ती का एकमात्र केंद्रअपने इलाके का फौजी अखाड़ा निम्नलिखित सुविधाएं प्रदान करता है  1_ एन आई एस कोच 2_ हॉस्टल सुविधा 3 _हरे भरे खेतों के बीच मुख्य सड़क से दूर एकांत में 4_ समस्त अखाड़ा परिसर सीसीटीवी कैमरे की जद में 5_ 100 * 55 फीट का कुश्ती हाल 6_ लड़के व लड़कियों के लिए अलग-अलग चेंजिंग रूम व।  7 _7 वॉशरूम कुश्ती हाल से अटैच हैं 8 _पीने का पानी फिल्टर के साथ वाटर कूलर की सुविधा 9 _24 घंटे बिजली की सुविधा सिटी लाइन का कनेक्शन  10_अकैडमी में हरा भरा पार्क 11_अच्छे खाने की सुविधा  नोट =हमारा लक्ष्य अहीरवाल क्षेत्र को खेलों में आगे बढ़ाने का है आप आए एक बार विजिट करें और देखें खेल से चरित्र निर्माण है RAO DHEERAJ NUNIWAL #RDY #nuniwal #raozofindia #raoz_of_india