पहचान -वीर भूमि अहीरवाल







पहचान :
1. देश में एक छोटा सा क्षेत्र : वीर भूमि अहीरवाल –देश की राजधानी दिल्ली से नज़दीक ,इसलिए जो भी आक्रमण देश पर हुए, वो दिल्ली पर काबिज़ होने पर हुए ,इसलिए अहीरवाल को सदा हरावल में लड़ना पड़ा
2. एक छोटी सी आबादी : क्योंकि बार युद्धों से जनहानि हुई, क्योंकि सिर्फ विदेशी ही नहीं बल्कि देशी ताकतों से भी लड़ना पड़ा i लेकिन फिर भी स्वाभिमानी नायाब पहचान बरक़रार
3. अपने नाम से पहचान : वीर भूमि अहीरवाल , नर्सरी ऑफ़ सोलजर्स --सैनिकों की खान -देश का छोटा इजराएल i भौगौलिक रूप से कई राज्यों में बटा हुआ –दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान
4. अपनी भाषा : अहीरवाटी भाषा
5. अपनी वेशभूषा : महिला- तीअल, पीलिया आदि i महिला पौशाक पहनने का अनूठा अंदाज़ जिससे पहनने के तरीके से ही गाँव की बेटी और बहु में फर्क नज़र आता है i पुरुष-साफा, धोती जो कि एक नायब तरीके से बाँधी जाती है i




6. अनूठा सैन्य-इतिहास व् परम्परा : नर्सरी ऑफ़ सोलजर्स --सैनिकों की खान -देश का छोटा इजराएल i असंख्य वीरता पदक, घर-घर में फौज़ी, हर गाँव में अमर बलिदानी सैनिकों की प्रतिमाएं, हर गाँव में युद्ध-वीरांगनायें , तकरीबन हर गाँव में नेताजी की आज़ाद हिन्द फौज के सेनानीi एक ही गाँव के प्रथम विश्व-युद्ध में 247 योद्धा लड़े- अहीरगढ़ कोसली , एक ही गाँव में सबसे ज्यादा देश की आज़ादी के सेनानी – ठिकाणा लूखी i रेजांगला, हाजी पीर, नसीबपुर, करनाल जैसी शौर्यवान रण-गाथाओं  के लड़ाकों की जननी i अद्भुत सैन्य-परम्परा , हल और हथियार की अनूठी परम्परा के ध्वज-धारक
7. राजनीति: 1857 में देश की पहली आज़ादी की लडाई के पुरोधा , राव राजा तुला सिंह जी , राव किशन सिंह जी , राव गोपाल देव जी जैसे क्रांतिकारियों की जननी वीर भूमि अहीरवाल i राव राजा तुला सिंह जी देश के पहले महानायक जिन्होंने विदेश की धरती पर जा कर वतन की आज़ादी की लडाई के लिए फौज खड़ी करने की सोच रखी, इनके बाद नेताजी बोस ऐसी दूसरी हस्ती थे i वर्तमान आज़ादी के बाद के काल में देश का पहला अहीर मुख्यमंत्री –चौधरी ब्रहमप्रकाश जी ठिकाणा-शकूरपुर i देश का दूसरा अहीर मुख्यमंत्री: राजा राव बिरेन्द्र सिंह जी i सबसे कम उम्र का अहीर मुख्यमंत्री - चौधरी ब्रहमप्रकाश जी ठिकाणा-शकूरपुर i पहली राजनितिक पार्टी/दल – 1967 में विशाल हरियाणा पार्टी जिसका सिंबल था “उगता सूरज” जो राजा राव बिरेन्द्र सिंह जी ने खड़ी करी थी i i
8. संस्कृति : फ़ाग गायन, धमाल, आल्हा गायन व् रागिनी जिसकी शुरुआत अली-बक्श ने करी थी जिसका चबूतरा रेवाड़ी में था जहाँ हर गवैय्या  धोक देता था i
9. सैनिकों-सन्यासियों की जननी: अनूठा संगम- जहाँ घर-घर में सैनिक हैं , वहीँ सन्यासियों की जन्मभूमि भी है – योग-गुरु रामदेव जी , बाबा खेतानाथ जी, स्वामी शरणानन्द जी , बाबा चाँद नाथ जी, बाबा बालक नाथ जी , सैनिक से सन्यासी बने स्वामी सोमानन्द जी जैसे असंख्य सन्यास-परम्परा के महानायक इस वीर भूमि अहीरवाल के ही पुत्र हैं
10. सामाजिक व राजनितिक सम्बन्ध : चौबीसा, बागपत छ्बीसा, सौराष्ट्र, बुन्देलखण्ड अहीरवाडा, उदयरामसर बीकानेर आदि दूर-दूर तक
.....फिर ये कैसी  मूर्खता है जब ये कहते हो कि हमारी पहचान फलाने नेता से है , ये हमारी उपरोक्त निराली पहचान तो आप के नेताओं के पुरखों के जन्म से पहले से है , क्या हमारी पौशाक/भाषा/क्षेत्रीय पहचान व् सीमायें/परम्पराएँ आप के नेता की देन हैं ? क्या रेजांगला धाम किसी नेता की देन है ? ....हाँ, अगर तुम्हारी पहचान किसी राजनेता से है तो फिर आप एक मरी हुई कौम हैं i
#अहीर_रेजिमेंट_हक_है_हमारा
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II शूरवीरों में अति शूरवीर अहीर II
II वीर भोग्या वसुन्धरा II
II राष्ट्र-रक्षा परम धर्म है,अहीर रेजिमेंट राष्ट्र-रक्षा हेतु बलिदान के लिए II
RAO DHEERAJ NUNIWAL #RDY #nuniwal #raozofindia #raoz_of_india 



 

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