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Kargil Diwas: Remembring Yogender Singh Yadav Who Alone killed 17 Pak Soldiers

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कारगिल दिवस: योगेन्द्र सिंह यादव को याद, जिन्होंने अकेले ही 17 पाक सैनिकों को मार गिराया था  भारतीय सेना के जवान का साहस और वीरता ऐसी थी कि बाद में इसे बॉलीवुड फिल्म 'एलओसी: कारगिल' में दिखाया गया।    कारगिल शहीद योगेन्द्र यादव के परिजन उनकी तस्वीरें दिखाते हुए।      अकेले 17 पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराने वाले सैनिक मेरठ के ग्रेनेडियर योगेन्द्र यादव 1999 के ऐतिहासिक युद्ध में कारगिल में शहीद हो गए थे। भारतीय सेना के इस सैनिक का साहस और वीरता ऐसी थी कि बाद में उन्हें बॉलीवुड फिल्म 'एलओसी: कारगिल' में दिखाया गया।  2003 की फिल्म में यादव का किरदार आशुतोष राणा ने निभाया था।  “मैं ठीक हूं, कारगिल में लड़ाई छिड़ गई है।  मुझे पहाड़ों पर जाना है.  हम वहां के लिए निकल पड़े हैं.  हिम्मत मत हारो.  इसमें डरने की कोई बात नहीं है।  मेरे साथ पूरी यूनिट है.  मैं दुश्मनों को मारकर वापस आऊंगा,'' ये शहीद ग्रेनेडियर योगेन्द्र सिंह यादव के आखिरी शब्द थे, जो उन्होंने कारगिल रवाना होने से कुछ देर पहले अपने परिवार को लिखे पत्र में लिखे थे...

Sohna Hill Fort -सोहना का किल्ला

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हरियाणा में अहीरों ने पचासों किले बनवाए थे।  जिनमें एक है सोहना किला राव रामबख्श रईस धारुहेड़ा ने सोहना की पहाड़ी पर बनवाया था।  राव राजा तेज सिंह बहादुर रईस रेवाड़ी के ज़माने में यह किला बनवाया गया था  जब राव रामबख्श जी को धारूहेड़ा जागीर में मिला था। Rao Dheeraj nuniwal #heritage #haryana #ahir #nuniwal #raosahab #ahirwal #ahirwati #ahir #अहीर #अहीरवाल  Rao'z of india

अहीरवाल के नूनीवाल-- Nuniwals of Ahirwal

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नुणी ठीकाने का इतिहास बहुत ही गौरवशाली और प्राचीन है ।  सन 1585 में अकबर की सेना आमेर के राजा मान सिंह के नेतृत्व में काबुल पर हमला करने गयी थी, इस सेना में लगभग आठ - दस हजार अहीर लड़ाके भी थे| राव  रणमल नुणीवाल को इस अहीर फ़ौज का जनरल बनाया गया था| राव रणमल और उनके अहीर वीरों कि काबुल के युद्ध में अहम् भूमिका को देखते हुए, अकबर ने काबुल फ़तेह के बाद खुश होकर उनको बावन महल की चौधर "नारनौल की बावनी" दी | वापस लौट कर राव रणमल ने चौधर को खुशनसीबी के तौर पर मानते हुए अपने नए ठिकाने का नाम 'नसीबपुर' रखा| अपनी मदद के लिए उन्होंने मान्दी और पटीकरा के सरदारों को अपना नायब नियुक्त किया| ढोसी, जो कि अति प्राचीन तीर्थ, पहाड़ी है उस पर एक किला राजा नूनकरण ने बनाया था जो किसी आक्रमण में नष्ट हो गया, दूसरा गंगा सिंह नुणीवाल ने बनवाया जिसके अवशेष आज भी हैं| राव गोपालदेव जी की 3 शादियाँ हुई थी उनकी दो रानियाँ उदयरामसर (बीकानर) से थी तथा एक रानी नसीबपुर से चौ० रामचन्द्र जी के भाई की लडकी थी |  नसीबपुर में युद्ध लडने का मुख्य कारण भी ये ही था की जब गोकलगढ का किला अधिक पुराना होने के कारण य...

पहचान -वीर भूमि अहीरवाल

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पहचान : 1. देश में एक छोटा सा क्षेत्र : वीर भूमि अहीरवाल –देश की राजधानी दिल्ली से नज़दीक ,इसलिए जो भी आक्रमण देश पर हुए, वो दिल्ली पर काबिज़ होने पर हुए ,इसलिए अहीरवाल को सदा हरावल में लड़ना पड़ा 2. एक छोटी सी आबादी : क्योंकि बार युद्धों से जनहानि हुई, क्योंकि सिर्फ विदेशी ही नहीं बल्कि देशी ताकतों से भी लड़ना पड़ा i लेकिन फिर भी स्वाभिमानी नायाब पहचान बरक़रार 3. अपने नाम से पहचान : वीर भूमि अहीरवाल , नर्सरी ऑफ़ सोलजर्स --सैनिकों की खान -देश का छोटा इजराएल i भौगौलिक रूप से कई राज्यों में बटा हुआ –दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान 4. अपनी भाषा : अहीरवाटी भाषा 5. अपनी वेशभूषा : महिला- तीअल, पीलिया आदि i महिला पौशाक पहनने का अनूठा अंदाज़ जिससे पहनने के तरीके से ही गाँव की बेटी और बहु में फर्क नज़र आता है i पुरुष-साफा, धोती जो कि एक नायब तरीके से बाँधी जाती है i 6. अनूठा सैन्य-इतिहास व् परम्परा : नर्सरी ऑफ़ सोलजर्स --सैनिकों की खान -देश का छोटा इजराएल i असंख्य वीरता पदक, घर-घर में फौज़ी, हर गाँव में अमर बलिदानी सैनिकों की प्रतिमाएं, हर गाँव में युद्ध-वीरांगनायें , तकरीबन हर गाँव में नेताजी की आज़...

अहीरवाल में नया अखाड़ा

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आधुनिक कुश्ती का एकमात्र केंद्रअपने इलाके का फौजी अखाड़ा निम्नलिखित सुविधाएं प्रदान करता है  1_ एन आई एस कोच 2_ हॉस्टल सुविधा 3 _हरे भरे खेतों के बीच मुख्य सड़क से दूर एकांत में 4_ समस्त अखाड़ा परिसर सीसीटीवी कैमरे की जद में 5_ 100 * 55 फीट का कुश्ती हाल 6_ लड़के व लड़कियों के लिए अलग-अलग चेंजिंग रूम व।  7 _7 वॉशरूम कुश्ती हाल से अटैच हैं 8 _पीने का पानी फिल्टर के साथ वाटर कूलर की सुविधा 9 _24 घंटे बिजली की सुविधा सिटी लाइन का कनेक्शन  10_अकैडमी में हरा भरा पार्क 11_अच्छे खाने की सुविधा  नोट =हमारा लक्ष्य अहीरवाल क्षेत्र को खेलों में आगे बढ़ाने का है आप आए एक बार विजिट करें और देखें खेल से चरित्र निर्माण है RAO DHEERAJ NUNIWAL #RDY #nuniwal #raozofindia #raoz_of_india  

जामनपार के नूनीवाल

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  अपने पुरखे बताते थे की जमनापार के नुणीवालों का निकास, डुंडाहेडा (गुड़गांव) से हैं ।  तीन भाइयों ने जो तीन ठीकाने वहाँ आबाद करे वो - आपका मोहम्मदपुर धूमी और बहरामपुर (मेरठ ) एवं लाडनपुर (अमरोहा) में हैं.. इसमे एक मजेदार किस्सा बताते हैं की लाडन सिंह सबसे छोटे भाई थे और तुनक मिजाज थे । जब डुंडाहेडा से तीन गाडी चलीं तो एक जहाँ पर  आज का धूमि है वहाँ रुकी, दूसरी आगे जहाँ बहराम पुर है वहाँ रुकी और तीसरी जो सबसे बाद में धूमि के पास पहुँची तो बड़ी भाभी ने कहा देवर गाडी थोडा आगे को रोक लियो.  तो तुनकमिजाज दादा लाडन सिंह फिर गंगा पार पहुँच कर ही रुके .. RAO DHEERAJ NUNIWAL #RDY 

रेजिमेंट स हक़ म्हारो

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  ** रेजिमेंट स हक म्हारो ** कहते हैं ना की एक ही झूठ को सौ बार दोहराओ तो वो सच लगने लगता है. मुझे लगता है की हमारी थल सेना और फौजी सिस्टम को चला रहे लोग इसी विश्वास के साथ पिछले कई दशकों से यह सफेद झूठ बोले जा रहे हैं - "आजादी के बाद जाति, क्षेत्र आधार पर कोई रेजिमेंट नही बनी " .  हालांकि झूठ की तो खैर कोई सीमा नही होती , लेकिन जिस हिसाब से देश के अलग अलग इंस्टीट्यूशन के सामने आम जनता को गुमराह करने के लिए ये उपरोक्त गलत तथ्य कहे जाते हैं, पढ़कर सुनकर गुस्सा भी आता है और दुख भी होता है.  Rajnath Singh ji, माना की इस झूठ से भ्रमित होने वाले आप पहले रक्षा मंत्री नही हैं , लेकिन आपके पास एक मौका है की सत्य का साथ देकर आप इस गलत प्रोपोगैंडा से भ्रमित होने वाले आखिरी रक्षा मंत्री जरूर हो सकते हैं. वैसे तो सत्यं कीम् प्रमाणम्, लेकिन फिर भी आपको और फौज (जो सब कुछ जानते हुए भी नादान बन रही है) को यह बता दूँ की आजादी के बाद ही सिर्फ इन्फैण्टरी मे यह निम्नलिखित Scouts एवं Regiments प्लान कर खड़ी की गयी हैं - a.Ladakh Scouts, raised from 1948-63 b.J&K LI, raised from 1948-1972/...